Dr Nuskhe Makardhwaj Vati

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यौनाचरण में अतिरेक करने, पोषक आहर-विहार न करने, गलत तरीके से वीर्यनाश करने आदि कारणों से पुरुष का धातुबल क्षीण हो जाता है, जिससे वह भरी जवानी में ही बूढ़ा हो जाता है। ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर पुरुष कुछ यौन व्याधियों के शिकार हो जाते हैं और पत्नी के साथ संतुष्टि और तृप्ति प्रदान करने वाला व्यवहार नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में ‘मकरध्वज वटी’ का सेवन करना उत्तम सिद्ध होता है यह योग हृदय, मस्तिष्क, वातवाहिनी और शुक्रवाहिनी नाड़ियों पर विशेष प्रभाव कर उन्हें शक्ति प्रदान करता है तथा मानसिक और शारीरिक नपुंसकता को नष्ट कर पर्याप्त यौनशक्ति प्रदान करता है।

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यौनाचरण में अतिरेक करने, पोषक आहर-विहार न करने, गलत तरीके से वीर्यनाश करने आदि कारणों से पुरुष का धातुबल क्षीण हो जाता है, जिससे वह भरी जवानी में ही बूढ़ा हो जाता है। ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर पुरुष कुछ यौन व्याधियों के शिकार हो जाते हैं और पत्नी के साथ संतुष्टि और तृप्ति प्रदान करने वाला व्यवहार नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में ‘मकरध्वज वटी’ का सेवन करना उत्तम सिद्ध होता है यह योग हृदय, मस्तिष्क, वातवाहिनी और शुक्रवाहिनी नाड़ियों पर विशेष प्रभाव कर उन्हें शक्ति प्रदान करता है तथा मानसिक और शारीरिक नपुंसकता को नष्ट कर पर्याप्त यौनशक्ति प्रदान करता है। समस्त प्रकार के धातुविकार, अति मैथुन या अप्राकृतिक ढंग से किए गए वीर्यनाश से उत्पन्न होने वाली इन्द्रिय शिथिलता तथा नपुसंकता को नष्ट कर शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन, प्रमेह आदि व्याधियों को दूर करता है। इसके सेवन से स्मरणशक्ति, स्तम्भनशक्ति, बलवीर्य और ओज की वृद्धि होती है। यह इसी नाम से या ‘सिद्धमकरध्वज वटी’ के नाम से बाजार में मिलता है। उचित आहार-विहार करते हुए इसका सेवन पूरे शीतकाल तक करना चाहिए। इसके साथ वीर्यशोधनवटी 1-1 गोली सेवन करने से और अधिकल लाभ होता है। इस योग में कोई मादक और उत्तेजक द्रव्य नहीं है, इसलिए इसे दिमागी काम ज्यादा करने वाले अविवाहित युवक भी सेवन कर सकते हैं। 1-1 गोली सुबह शाम, मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करें।

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