Dr Nuskhe Viryashodhan Churn

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  • सके सेवन से वीर्य विकार दूर होते हैं। यह पुष्टिकारक है। वीर्य सभी धातुओं का सार है। अच्छी संतान के लिए वीर्य का शुद्ध होना अति अनिवार्य है। शुद्ध वीर्य चिकना, गाढा, मलाई जैसा, लिबलिबा, मीठा, जलन रहित, और गंध रहित होता है। दूषित वीर्य झागदार, सूखा, रंग में खराब, बहुत गाढ़ा और गंध के साथ होता है। इसके निकलने पर जलन भी होती है। वीर्य दोष होने पर, स्खलन के बाद कम वीर्य निकलता है, इसमें स्पर्म की संख्या कम होती है या स्पर्म अस्वस्थ्य, असामान्य, विकृत होता हैं। शुद्ध वीर्य में उत्तम शुक्र कीट या शुक्राणु पाए जाते हैं। यही गर्भस्थापित करते हैं।डॉ नुस्खे वीर्य शोधन चूर्ण के सेवन से वीर्य विकार दूर होते हैं। यह पुष्टिकारक है। वीर्य सभी धातुओं का सार है। अच्छी संतान के लिए वीर्य का शुद्ध होना अति अनिवार्य है। शुद्ध वीर्य चिकना, गाढा, मलाई जैसा, लिबलिबा, मीठा, जलन रहित, और गंध रहित होता है। दूषित वीर्य झागदार, सूखा, रंग में खराब, बहुत गाढ़ा और गंध के साथ होता है। इसके निकलने पर जलन भी होती है। वीर्य दोष होने पर, स्खलन के बाद कम वीर्य निकलता है, इसमें स्पर्म की संख्या कम होती है या स्पर्म अस्वस्थ्य, असामान्य, विकृत होता हैं। शुद्ध वीर्य में उत्तम शुक्र कीट या शुक्राणु पाए जाते हैं। यही गर्भस्थापित करते हैं।
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सके सेवन से वीर्य विकार दूर होते हैं। यह पुष्टिकारक है। वीर्य सभी धातुओं का सार है। अच्छी संतान के लिए वीर्य का शुद्ध होना अति अनिवार्य है। शुद्ध वीर्य चिकना, गाढा, मलाई जैसा, लिबलिबा, मीठा, जलन रहित, और गंध रहित होता है। दूषित वीर्य झागदार, सूखा, रंग में खराब, बहुत गाढ़ा और गंध के साथ होता है। इसके निकलने पर जलन भी होती है। वीर्य दोष होने पर, स्खलन के बाद कम वीर्य निकलता है, इसमें स्पर्म की संख्या कम होती है या स्पर्म अस्वस्थ्य, असामान्य, विकृत होता हैं। शुद्ध वीर्य में उत्तम शुक्र कीट या शुक्राणु पाए जाते हैं। यही गर्भस्थापित करते हैं।

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